Whitstone bridge क्या है ?

Principle of whitstone bridge:-

Whitstone bridge का आविष्कार whitstone ने किया था। इसलिए उन्ही के नाम पर इसे whitstone bridge कहते है।

इसमें चार resistance (प्रतिरोध) {P,Q,R,S} श्रेणीक्रम में जुड़कर एक square (A,B,C,D) का निर्माण करते है। इसके विकर्ण A और C के बीच में एक सेल तथा कुंजी(button) K1 लगा देते है तथा एक अन्य विकर्ण B व D के बीच में galvenometer और एक अन्य बटन K2 लगा देते है।

अब square (चतुर्भुज) को इस प्रकार fit करते है कि जब हम circuit में करंट का प्रवाह करेंगे तो इससे जुड़े galvenometer में कोई विक्षेप न हो। इस स्थिति में bridge को balanced bridge(संतुलित सेतु) कहा जाता है। तथा इसकी इस सन्तुलित स्थिति में

Square की किन्ही दो संलग्न भुजाओं का अनुपात शेष दो संलग्न भुजाओ के अनुपात के बराबर होता है। अर्थात

{P÷Q= R÷S}

Formula की स्थापना:-

अब circuit में plug K1 से current का प्रवाह करते है तो सेल E से current प्रवाहित होने लग जाता है अब circuit में i धारा (current) बिंदु A की तरफ जाने लगता है। जो बिंदु A पर जाकर दो भागों i1 और i2 में devide हो जाता है। AB भुजा में करेंट i1 और AD भुजा में i2 धारा बहने लगती है। अब हम A,B,C,D square को इससे तरह से fit करते है कि plug button K2 को press करने पर galvenometer में कोई विक्षेप नही होता है। इस स्थिति में विकर्ण BD में कोई धारा नही जाएगी अर्थात AB में बहने वाली धारा BC में तथा AD में जाने वाला current DC में जाएगा। क्योंकि BD में कोई धारा नही बह रही है इसलिए B व D के बीच मे विभवांतर 0(शून्य) होगा।

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