रक्षा बंधन क्या है और क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन 2020…..

Hello दोस्तों आज के इस आर्टिकल मे हम रक्षा बंधन के बारे मे डिस्कस करेंगे। जैसा की आप सब लोग जानते है कि आज रक्षा बंधन 2020 का त्यौहार है। इसलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको रक्षा बंधन के बारे मे पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

 

रक्षा बंधन क्या है और यह क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबन्धन भारतवर्ष मे मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है, जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है।

राखी एक पवित्र धागा है। भारतीय परंपरा में राखी के धागे को लोह से मजबूत माना जाता है क्योंकि यह आपस में प्यार और विश्वास की परिधि में भाइयों और बहनों को दृढ़ता से बांधता है।रक्षा बंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से के लोगों द्वारा मनाया जाता है। अन्य हिस्सों के लोग भी इस त्योहार को उसी आस्तिकता से मनाते है। हालांकि रक्षा बंधन मनाने का तरीका हर क्षेत्र में अलग-अलग हो सकता है।

इन दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और अपने भाइयों की दीर्घायू सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। साथ भाई अपनी बहनों को सदैव उनकी रक्षा का वचन देते हैं।  राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है।

Raksha Bandhan 2020

रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है।

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भाई बहनों को रक्षा बंधन बाधते समय बहनों को इस मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए:-

 

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

 

रक्षा बंधन का इतिहास (History of Raksha Bandhan in Hindi)

रक्षाबंधन के त्यौहार को आजकल ही नहीं बल्कि इस त्यौहार को बहुत समय पहले से माने जाता रहा है जिससे संबंधित सभी कहानियों को हम जानेंगे:-

 

रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं

मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था, तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

 

निजाम रानी और मोहम्मद

गिन्नौरग़ढ़ के निजाम शाह गोंड के रिश्तेदार आलम शाह ने उन्हें एक षड्यंत्र के तहत जहर देकर मार डाला था। निजाम रानी कमलापति गोंड ने अपने पति की मौत का बदला लेने और अपनी रियासत को बचाने के लिए सरदार दोस्त मोहम्मद खान को राखी भेजकर मदद की गुजारिश की।

 

दोस्त मोहम्मद खान ने रानी के रियासत की रक्षा की। रानी ने अपने भाई दोस्त मोहम्मद के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए 50 हजार की राशि और 2 हजार की जनसंख्या वाला एक छोटा-सा गांव भेंट किया।

इंद्राणी एवं इंद्र

भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दानवों में 12 वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास विमर्श हेतु गए। गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत करके रक्षासूत्र तैयार किए और स्वस्तिवाचन के साथ ब्राह्मण की उपस्थिति में इंद्राणी ने वह सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा। जिसके फलस्वरुप इन्द्र सहित समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।

 

यम और यमुना

भाई और बहन के प्रतीक रक्षा बंधन से जुड़ी एक अन्य रोचक कहानी है, मृत्यु के देवता भगवान यम और यमुना नदी की, पौराणिक कथाओं के मुताबिक यमुना ने एक बार भगवान यम की कलाई पर धागा बांधा था। वह बहन के तौर पर भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार करना चाहती थी।

भगवान यम इस बात से इतने प्रभावित हुए कि यमुना की सुरक्षा का वचन देने के साथ ही उन्होंने अमरता का वरदान भी दे दिया। साथ ही उन्होंने यह भी वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन की मदद करेगा, उसे वह लंबी आयु का वरदान देंगे।

श्री गणेश और संतोषी मां

भगवान गणेश के बेटे शुभ और लाभ एक बहन चाहते थे। तब भगवान गणेश ने यज्ञ वेदी से संतोषी मां का आह्वान किया। रक्षा बंधन, शुभ, लाभ और संतोषी मां के दिव्य रिश्ते की याद में भी मनाया जाता है। यह रक्षा विधान श्रावण मास की पूर्णिमा को प्रातः काल संपन्न किया गया था तब ही से रक्षा बंधन अस्तित्व में आया और श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने लगा।

 

श्री कृष्ण और द्रोपदी

जब कृष्ण भगवान ने राजा शिशुपाल को मारा था तो युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून बह रहा था, इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांध दी, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया।

तभी से भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था। सालों के बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी।

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रक्षा बंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi)

प्रस्तावना:- रक्षाबंधन भाई बहनों का वह त्योहार है तो मुख्यत: हिन्दुओं में प्रचलित है पर इसे भारत के सभी धर्मों के लोग समान उत्साह और भाव से मनाते हैं। पूरे भारत में इस दिन का माहौल देखने लायक होता है। वर्तमान समय में आपसी रंजिश दूर करने हेतु अनेक राजनेताओं द्वारा एक दूसरे को राखी बांधी जा रही है। साथ ही लोग पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़-पौधों को भी राखी के अवसर पर राखी बांधते हैं।

रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्योहार है। रक्षा-बंधन यानि – रक्षा का बंधन, एक ऐसा रक्षा सूत्र जो भाई को सभी संकटों से दूर रखता है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है। रक्षाबंधन एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है।

 

ऐतिहासिक महत्व:-  रक्षाबंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है। वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है। कथा इस प्रकार है- राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्‍‌न किया, तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए।

 

गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। उसने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया। लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो गई। नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया। बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ ले आई। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

 

मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।

 

रक्षा बंधन का महत्व:- रक्षाबन्धन के दिन राखी बाँधने की बहुत पुरानी परम्परा है। रक्षाबंधन एक रक्षा का रिश्ता होता है जहाँ पर सभी बहन और भाई एक दूसरे के प्रति प्रेम और कर्तव्य का पालन, रक्षा का दायित्व लेते हैं और ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ रक्षाबंधन का उत्सव मनाते हैं। जैन धर्म में भी राखी का बहुत महत्व होता है। यह बात जरूरी नहीं होती कि जिनको बहनें राखी बाँधे वे उनके सगे भाई हो, लडकियाँ सभी को राखी बाँध सकती हैं और सभी उनके भाई बन जाते हैं। इस दिन बहन भाई के लिए मंगल कामना करती हुई उसे राखी बाँधती है।

 

आधुनिक समय मे रक्षा बंधन का बदलता स्वरूप:- पुराने समय में घर की छोटी बेटी द्वारा पिता को राखी बांधी जाती थी इसके साथ ही गुरुओं द्वारा अपने यजमान को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता था पर अब बहनें ही भाई के कलाई पर यह बांधती हैं। इसके साथ ही समय की व्यस्तता के कारण राखी के पर्व की पूजा पद्धति में भी बदलाव आया है। अब लोग पहले के अपेक्षा इस पर्व में कम सक्रिय नज़र आते हैं। राखी के अवसर पर अब भाई के दूर रहने पर लोगों द्वारा कुरियर के माध्यम से राखी भेज दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल पर ही राखी की शुभकामनाएं दे दी जाती हैं।

 

रक्षा बंधन की तैयारियां:- प्रातः स्नानादि करके लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई, फूल और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष तैयार होकर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर फूलों को छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है और दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है।

भाई बहन को उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबन्धन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है।प्रत्येक पर्व की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्त्व रक्षाबन्धन में भी होता है।

 

रक्षा बंधन: भाई बहन के प्यार का प्रतीक:- भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही खास होता है रक्षाबंधन एक रक्षा का रिश्ता होता है जहां पर भाई-बहन एक दूसरे की रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं। इस दिन सारी बहने अपने भाइयों को राखी बांधती है और उनसे हर समय रक्षा करने का वादा करती है और भाई भी अपनी बहनों से राखी बंधवाते हुए वादा करते हैं कि वे भी हर समय सुख-दुख में अपनी बहन की हर संभव सहायता एवं रक्षा करेंगे।

 

उपसंहार:- हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए पर्वों, त्योहारों व उपवास के विधि-विधान हमारी सभ्यता, संस्कृति के रक्षक है। इन सब से हमारी पहचान है। आज के समय में यह त्यौहार हमारी संस्कृति की पहचान बन चुका है और हमारे भारत वासियों को इस त्यौहार पर बहुत गर्व है। लेकिन भारत में जहाँ पर बहनों के लिए इस विशेष त्यौहार को मनाया जाता है वहीं पर कुछ भाइयों के हाथों पर राखी इस वजह से नहीं बंध पाती है क्योंकि उनके माता-पिता उसकी बहन को इस दुनिया में आने ही नहीं देते हैं।

यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि जिस देश में कन्या पूजन का विधान शास्त्रों में है वहीं पर कन्या-भ्रूण हत्या होती रहती है। यह त्यौहार हमें यह याद दिलाता है कि बहनों का हमारे जीवन में कितना महत्व होता है।

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रक्षा बंधन 2020: जाने कब है रक्षाबंधन?

रक्षा बंधन 2020 इस बार 3 अगस्त के दिन यानि कि गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। 3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है। राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा।  दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है। इसके बाद शाम को 7 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9.30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है।

 

Conclusion

आज के इस article के माध्यम से हमने रक्षा बंधन 2020 के बारे मे विस्तार से जाना। आशा है कि रक्षा बंधन क्या है और क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन 2020 का यह article आपके लिए helpful रहा होगा। अगर आपको यह article पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share कीजिए।

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