Privatisation of LIC in hindi – LIC का निजीकरण

Hello दोस्तों आज के इस आज के इस Article मे हम LIC के बारे मे बात करने वाले है। LIC के बारे मे तो हम सब जानते ही है अक्सर हर कोई आदमी अपना और अपनी Family की जीवन बीमा जरूर करवाता है। आधिकतर लोग अपना जीवन बीमा LIC के माध्यम से ही करवाते है।

हाल ही हमारी Finance Minister श्रीमती निर्मला सीतारमण ने Budget 2020 मे LIC को लेकर एक important घोषणा की है कि LIC कुछ हिस्सा Initial Public Offering (LIC IPO) के तहत बेचा जाएगा। इसलिए आज के इस Article मे हम इस बारे मे विस्तार से जानने वाले है। is LIC Privatisation Good or Bad यह तो आने वाले समय मे ही पता चलेगा।  इस Topic मे हम उन Terms को भी Cover करेंगे जो Terms स Article मे आएंगे और शायद आपने उनके बारे मे न सुना हो।

अगर आपने भी अपना जीवन बीमा LIC के माध्यम से करवा रखा है तो आपको भी इस Privatisation of LIC in hindi – LIC का निजीकरण Article को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि आज Privatisation of LIC in hindi – LIC का निजीकरण का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत Important रहने वाला है। तो चलिए जानते है: –

 

LIC क्या है?

 

LIC का पूरा नाम Life Insurance Corporation ( भारतीय जीवन बीमा निगम) है। यह भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा Company है। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी होने के साथ साथ यह देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी भी है। भारतीय जीवन बीमा निगम पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व मे है। इसका मुख्यालय भारत की Financial Capital कही जाने वाली मुंबई मे है।

LIC

History of LIC in Hindi

 

जीवन बीमा अपने आधुनिक रूप के साथ 1818 दशक में इंग्लैंड से भारत आई। भारत की पहली जीवन बीमा कम्पनी कलकत्ता में युरोपियन्स के द्वारा शुरू कि गई जिसका नाम था ओरिएन्टंल लाईफ इंश्‍योरेंस। उस समय सभी बीमा कम्पनीयों कि स्थापना युरोपिय समुदाय की जरूरत को पुरा करने वे लिये की गई थी और ये कम्पनीया भारतीय मूल के लोगों का बीमा नहीं करती थी, लेकिन कुछ समय बाद बाबू मुत्तीलाल सील जैसे महान व्यक्तियों कि कोशिशों से विदेशी जीवन बीमा कम्पनीयों ने भारतीयों का भी बीमा करण करना शुरू किया। परन्तु यह कम्पनीयां भारतीयों के साथ निम्न स्तर का व्यवहार रखती थी, जैसे भारी और अधिक प्रिमियम की मांग करना।

भारत की पहली जीवन बीमा कम्पनी की नीव 1870 में मुंबई म्‍युचुअल लाइफ इंश्‍योरेंस सोसायटी के नाम से रखी गई, जिसने भारतीयों का बीमा भी समान दरों पर करना शुरू किया. पूरी तरह स्वदेशी इन कम्पनियों की शुरूआत देशभक्ति की भावना से हुयी. ये कम्पनियां समाज के विभिन्न वर्गों की सुरक्षा और बीमा करण का संदेश लेकर सामने आयी थीं. भारत बीमा कम्पनी (1896) भी राष्ट्रीयता से प्रभावित एक ऐसी ही कम्पनी थी.1905 – 1907 के स्वदेशी आंदोलन ने ऐसी और भी कई बीमा कम्पनीयों को बधवॉ दिया। मद्रास में दि युनाईटेड इंडिया, कोलकाता में नेशनल इण्डियन और नेशनल इंश्‍योरेंस के तहत 1906 में लाहौर में को – ऑपरेटिव्ह बीमा की स्थापना हुई. कोलकाता में महान कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर के घर जोरासंख्या के एक छोटे से कमरे में हिदुस्तान को – ऑपरेटिव्ह इंश्‍योरेंस कम्पनी का जन्म 1907 में हुआ।

उन दिनों स्थापित होने वाली कुछ ऐसी ही कम्पनियों में थीं- द इण्डियन मर्कन्टाईल, जनरल इंश्‍योरेंस और स्वदेशी लाइफ (जो बाद में मुंबई लाइफ के नाम से जानी गई)।1912 से पहले भारत में बीमा व्यापार के लिये कोई भी कानून नहीं बना था. 1912 में लाइफ इंश्‍योरेंस कम्पनी एक्ट और प्रोविडेन्ड फन्ड एक्ट पारित हुये, जिसके परिणामस्वरूप बीमा कम्पनियों के लिए अपने प्रीमियम रेट टेबल्स और पेरिओडिकल वैल्युएशन्स को मान्यता प्राप्त अधिकारी से प्रमाणित करवाना आवश्यक हो गया।  मगर इस धारा ने विदेशी और भारतीय कम्पनियों के प्रति कई स्तर पर भेद- भाव भर दिया, जो भारतीय कम्पनियों के लिये हानिकारक था. 20वीं सदी के पहले दो दशकों में बीमा का व्यापार तेज़ी से बढ़ा।  44 कम्पनियों ने जहां 22,24 करोड़ रूपये का व्यापार किया, वहीं 1938 के आते- आते कम्पनियों की संख्या बढ़ कर 176 हो गई, जिनका कुल व्यापार 298 करोड़ रूपये था. बीमा कम्पनियों के तेज़ी से बढ़ते हुए उद्योग को देखकर आर्थिक रूप से कमजोर कुछ कम्पनियां भी सामने आईं, जिनकी योजनाएं बाद में बुरी तरह नाकाम हुईं.

द इंश्‍योरेंस एक्ट 1938 भारत का पहला ऐसा कायदा था, जिसने जीवन बीमा के साथ- साथ सभी बीमा कम्पनियों के उद्योग पर राज्य सरकार का कड़ा नियंत्रण लागू किया.काफी समय से जीवन बीमा उद्योग को राष्ट्रीय करण प्रदान करने की मांग चल रही थी, लेकिन इसने गति 1944 में पकड़ी जब 1938 में लेजिस्‍लेटिव असेम्बली के सामने लाइफ इंश्‍योरेंस एक्ट बिल को संशोधित करने का प्रस्ताव रखा गया. इसके बावजूद भारत में काफी समय के बाद जीवन बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीय करण 18 जनवरी 1956 में हुआ।  राष्ट्रीय करण के समय भारत में करीब 154 जीवन बीमा कम्पनियां, 16 विदेशी कम्पनियां और 75 प्रोविडेंड कम्पनियां कार्यरत थीं.

इन कम्पनियों का दो स्थितियों में राष्ट्रीय करण हुआ प्राथमिक अवस्था में इन कम्पनियों के प्रशासनिक आधिकार ले लिए गए, तत्पश्चात एक कॉम्प्रेहेन्सिव बिल के तहत इन कम्पनियों का स्वामित्व भी सरकार ने अपने कब्ज़े में ले लिया. भारतीय संविधान ने 19 जून 1956 को लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन एक्ट पास किया. 1 सितंबर 1956 में लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई, जिसका उद्देश था, जीवन बीमा को बड़े पैमाने पर फैलाना, खास तौर पर गाँव में, ताकि भारत के हर नागरिक को पर्याप्‍त आर्थिक सहायता उचित दरों पर उपलब्‍ध करवाई जा सके।

LIC के 5 ज़ोनल अधिकारी थे, 33 डिवीज़नल ऑफिसर और 212 शाखा अधिकारी थे, इसके अलावा कार्पोरेट ऑफिस भी बना. जीवन बीमा के कॉन्ट्रैक्ट लंबी अवधि के होते हैं और इस पॉलिसी के तहत हर तरह की सेवाएं दी जाती रही हैं, बाद के वर्षों में इस बात की ज़रूरत महसूस हुई कि इसकी कार्यप्रणाली का विस्तार किया जाये और हर ज़िला हेडक्वार्टर में शाखा ऑफिस भी बनाए जाएं।  LIC का पूरा घटन शुरू हुआ और बड़े पैमाने पर नए- नए शाखा ऑफिस खोले गये. पुर्नघटन के परिणाम स्वरूप तमाम सेवाएं इन शाखाओं में स्थानांतरित हो गईं और सभी शाखाएं लेखा- जोखा विभाग बन गईं, जिससे कार्पोरेशन की कार्यप्रणाली और प्रदर्शन में कई -कई गुना सुधार हुआ। ऐसा देखा गया कि 1957 में लालबाग में 200 करोड़ रूपये के बिज़नेस से कार्पोरेशन ने 1969- 70 तक अपना बिज़नेस 1000 करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया और अगले सिर्फ दस वर्षों में ही LIC ने अपना बिज़नेस 2000 करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया. जब 80 के दशक की शुरूआत में फिर से पुर्नघटन हुआ, तो नई पॉलिसियों की वजह से 1985 – 86 तक व्यापार 7000 करोड़ रूपये से ऊपर जा पहुंचा।

अब LIC भारत का सबसे बड़ा Financial Institution है इसके assets की total value 31 trillion rupees ( 31 लाख करोड़ या $434 billion) है। LIC के 1 लाख 12 हज़ार के करीब employees है और 12 लाख agents है। agents direct employees नहीं है पर इनके द्वारा ही हम अपना काम करवाते है।

 

LIC से government को फाइदा?

 

:- financial year 2018 मे LIC ने government को 48444 करोड़ का फाइदा दिया था।

:- insurance sector मे 76% share LIC का ही है।

 

LIC और दूसरी insurance companies मे क्या फर्क है?

 

LIC और दूसरी companies मे क्या फर्क है क्योकि आप insurance दूसरी companies से ले या LIC से ले बात तो एक ही होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है। LIC 100% GOVERMENT owned कंपनी है और इसका जो 1956 का कानून है उसमे यह लिखा हुआ है कि policyholders को 100% पैसा देने की   “sovereign guarantee” दी जाएगी  “sovereign guarantee” का मतलब होता है कि अगर आपको कुछ हो जाता है तो आपको पैसा देने कि guarantee government की होती है। इसलिए लोगो का  LIC पर पूरा विश्वास है।

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IPO क्या है?

 

IPO का पूरा नाम initial public offering है इससे जरिये पब्लिक LIC मे shares खरीद सकती है। ये shares limited date और time के लिए होते है।

सरकार LIC IPO के तहत LIC  का लगभग 10% हिस्सा public offering मे देना चाहती है।

इससे सरकार को उम्मीद है की इससे 70-80 हजार करोड़ रुपया आएगा। लेकिन 1956 के कानून के कारण यह आसान नहीं है इसके लिए government को पहले इस कानून मे सुधार करना पड़ेगा जिसके लिए इस कानून को लोकसभा व राज्यसभा मे पास करना होगा। इसके लिए inter ministerial committee बनाई जाएगी जो इसके details पर workout करेगी। सरकार की कोशिश यह रहेगी की मार्च 2021 से पहले यह IPO आ जाए।

LIC GOVERMENT के लिए stakes भी खरीदती है इसके अलावा यह मार्केट मे 55000-65000 करोड़ का इन्वेस्ट भी करती है। सरकार के कई infrastructure projects को भी LIC फ़ंड करती है। LIC का 5% profit सीधे government को जाता है बाकी और methods अलग है जीसससे LIC government को पैसा देती है।

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क्या LIC largest Indian company बन जाएगी?

 

हा, अगर इसके 10% shares market मे रख दिये जाते है तो यह भारत की सबसे बड़ी company बन जाएगी यह reliance को भी पीछे छोड़ देगी। इस सबसे LIC का overall governance सुधारेगा।

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Conclusion

आज के इस article के माध्यम से हमने Privatisation of LIC in hindi – LIC का निजीकरण के बारे मे विस्तार से जाना। आशा है कि LIC Privatisation News का यह article आपके लिए helpful रहा होगा। अगर आपको यह article पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share कीजिए।

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