भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बारे मे पूरी जानकारी और सूची हिन्दी मे जाने | GK

Hello दोस्तों आज के इस Article मे हम भारत के राष्ट्रपति (President) और उपराष्ट्रपति (Vice President) के बारे मे discuss करेंगे। जैसा की आप सब लोग जानते है कि आजकल भारत के वर्तमान राष्ट्रपति और भारत उपराष्ट्रपति के बारे मे और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सूची के बारे मे सभी competitive exams मे पूछा जा रहा है। इसलिये हमारे लिए भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बारे मे पूरी जानकारी और सूची हिन्दी मे जाने | GK को पढ़ना बहुत जरूरी है। साथ ही इस Article मे आपको भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की पूरी जानकारी प्रदान की जाएगी।

यह आर्टिकल UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS, Railways, Bank और Entrance Exam की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए काफी उपयोगी है।

 

भारत के राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति, भारत गणराज्य के कार्यपालक अध्यक्ष होते हैं। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किये जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शांति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।

सिद्धांततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद् के द्वारा उपयोग किए जाते हैं।

भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है।

प्रतिभा पाटिल भारत की 12वीं तथा इस पद को सुशोभित करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2007 को पद व गोपनीयता की शपथ ली थी। वर्तमान में राम नाथ कोविन्द भारत के चौदहवें राष्ट्रपति हैं।

General Knowledge

 

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।

राष्ट्रपति को भारत के संसद के दोनो सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) तथा साथ ही राज्य विधायिकाओं (विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पाँच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। वोट आवंटित करने के लिए एक फार्मूला इस्तेमाल किया गया है ताकि हर राज्य की जनसंख्या और उस राज्य से विधानसभा के सदस्यों द्वारा वोट डालने की संख्या के बीच एक अनुपात रहे और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों और राष्ट्रीय सांसदों के बीच एक समानुपात बनी रहे। अगर किसी उम्मीदवार को बहुमत प्राप्त नहीं होती है तो एक स्थापित प्रणाली है जिससे हारने वाले उम्मीदवारों को प्रतियोगिता से हटा दिया जाता है और उनको मिले वोट अन्य उम्मीदवारों को तबतक हस्तांतरित होता है, जब तक किसी एक को बहुमत नहीं मिलता।

राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यताएँ :

भारत का कोई नागरिक जिसकी उम्र 35 साल या अधिक हो वह पद का उम्मीदवार हो सकता है। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना चाहिए और सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण किया हुआ नहीं होना चाहिए। परन्तु निम्नलिखित कुछ कार्यालय-धारकों को राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खड़ा होने की अनुमति दी गई है:

  • वर्तमान राष्ट्रपति
  • वर्तमानउपराष्ट्रपति
  • किसी भीराज्य के राज्यपाल
  • संघ या किसी राज्य के मंत्री।

राष्‍ट्रप‍ति के निर्वाचन सम्‍बन्‍धी किसी भी विवाद में निणर्य लेने का अधिकार उच्‍चतम न्‍यायालय (सुप्रीम कोर्ट) को है।

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राष्ट्रपति की शक्तियाँ

न्यायिक शक्तियाँ

संविधान का 72वाँ अनुच्छेद राष्ट्रपति को न्यायिक शक्तियाँ देता है कि वह दंड का उन्मूलन, क्षमा, आहरण, परिहरण, परिवर्तन कर सकता है।

  • क्षमादान– किसी व्यक्ति को मिली संपूर्ण सजा तथा दोष सिद्धि और उत्पन्न हुई निर्योज्ञताओं को समाप्त कर देना तथा उसे उस स्थिति में रख देना मानो उसने कोई अपराध किया ही नहीं था। यह लाभ पूर्णतः अथवा अंशतः मिलता है तथा सजा देने के बाद अथवा उससे पहले भी मिल सकती है।
  • लघुकरण– दंड की प्रकृति कठोर से हटा कर नम्र कर देना उदाहरणार्थ सश्रम कारावास को सामान्य कारावास में बदल देना
  • परिहार– दंड की अवधि घटा देना परंतु उस की प्रकृति नहीं बदली जायेगी
  • विराम– दंड में कमी ला देना यह विशेष आधार पर मिलती है जैसे गर्भवती महिला की सजा में कमी लाना
  • प्रविलंबन– दंड प्रदान करने में विलम्ब करना विशेषकर मृत्यु दंड के मामलों में

राष्ट्रपति की क्षमाकारी शक्तियां पूर्णतः उसकी इच्छा पर निर्भर करती हैं। उन्हें एक अधिकार के रूप में मांगा नहीं जा सकता है। ये शक्तियां कार्यपालिका प्रकृति की है तथा राष्ट्रपति इनका प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करेगा। न्यायालय में इनको चुनौती दी जा सकती है। इनका लक्ष्य दंड देने में हुई भूल का निराकरण करना है जो न्यायपालिका ने कर दी हो।

शेरसिंह बनाम पंजाब राज्य 1983 में सुप्रीमकोर्ट ने निर्णय दिया की अनु 72, अनु 161 के अंतर्गत दी गई दया याचिका जितनी शीघ्रता से हो सके उतनी जल्दी निपटा दी जाये। राष्ट्रपति न्यायिक कार्यवाही तथा न्यायिक निर्णय को नहीं बदलेगा वह केवल न्यायिक निर्णय से राहत देगा याचिकाकर्ता को यह भी अधिकार नहीं होगा कि वह सुनवाई के लिये राष्ट्रपति के समक्ष उपस्थित हो

वीटो शक्तियाँ

विधायिका की किसी कार्यवाही को विधि बनने से रोकने की शक्ति वीटो शक्ति कहलाती है संविधान राष्ट्रपति को तीन प्रकार के वीटो देता है।

  • (१)पूर्ण वीटो – निर्धारित प्रकिया से पास बिल जब राष्ट्रपति के पास आये (संविधान संशोधन बिल के अतिरिक्त) तो वह् अपनी स्वीकृति या अस्वीकृति की घोषणा कर सकता है किंतु यदि अनु 368 (सविधान संशोधन) के अंतर्गत कोई बिल आये तो वह अपनी अस्वीकृति नहीं दे सकता है। यद्यपि भारत में अब तक राष्ट्रपति ने इस वीटो का प्रयोग बिना मंत्रिपरिषद की सलाह के नहीं किया है माना जाता है कि वह ऐसा कर भी नहीं सकता (ब्रिटेन में यही पंरपंरा है जिसका अनुसरण भारत में किया गया है)।
  • (२)निलम्बनकारी वीटो – संविधान संशोधन अथवा धन बिल के अतिरिक्त राष्ट्रपति को भेजा गया कोई भी बिल वह संसद को पुर्नविचार हेतु वापिस भेज सकता है किंतु संसद यदि इस बिल को पुनः पास कर के भेज दे तो उसके पास सिवाय इसके कोई विकल्प नहीं है कि उस बिल को स्वीकृति दे दे। इस वीटो को वह अपने विवेकाधिकार से प्रयोग लेगा। इस वीटो का प्रयोग अभी तक संसद सदस्यों के वेतन बिल भत्ते तथा पेंशन नियम संशोधन 1991 में किया गया था। यह एक वित्तीय बिल था। राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण ने इस वीटो का प्रयोग इस आधार पर किया कि यह बिल लोकसभा में बिना उनकी अनुमति के लाया गया था।
  • (३)पॉकेट वीटो – संविधान राष्ट्रपति को स्वीकृति अस्वीकृति देने के लिये कोई समय सीमा नहीं देता है यदि राष्ट्रपति किसी बिल पर कोई निर्णय ना दे (सामान्य बिल, न कि धन या संविधान संशोधन) तो माना जायेगा कि उस ने अपने पॉकेट वीटो का प्रयोग किया है यह भी उसकी विवेकाधिकार शक्ति के अन्दर आता है। पेप्सू बिल 1956 तथा भारतीय डाक बिल 1984 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इस वीटो का प्रयोग किया था।

राष्ट्रपति की संसदीय शक्ति

राष्ट्रपति संसद का अंग है। कोई भी बिल बिना उसकी स्वीकृति के पास नहीं हो सकता अथवा सदन में ही नहीं लाया जा सकता है।

राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियाँ

  • अनु 74 के अनुसार
  • अनु 78 के अनुसार प्रधान मंत्री राष्ट्रपति को समय समय पर मिल कर राज्य के मामलों तथा भावी विधेयकों के बारे में सूचना देगा, इस तरह अनु 78 के अनुसार राष्ट्रपति सूचना प्राप्ति का अधिकार रखता है यह अनु प्रधान मंत्री पर एक संवैधानिक उत्तरदायित्व रखता है यह अधिकार राष्ट्रपति कभी भी प्रयोग ला सकता है इसके माध्यम से वह मंत्री परिषद को विधेयकों निर्णयों के परिणामों की चेतावनी दे सकता है
  • जब कोई राजनैतिक दल लोकसभा में बहुमत नहीं पा सके तब वह अपने विवेकानुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा
  • निलंबन वीटो/पॉकेट वीटो भी विवेकी शक्ति है
  • संसद के सदनो को बैठक हेतु बुलाना
  • अनु 75 (3) मंत्री परिषद के सम्मिलित उत्तरदायित्व का प्रतिपादन करता है राष्ट्रपति मंत्री परिषद को किसी निर्णय पर जो कि एक मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से लिया था पर सम्मिलित रूप से विचार करने को कह सकता है।
  • लोकसभा का विघटन यदि मंत्रीपरिषद को बहुमत प्राप्त नहीं है

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आजादी से अब तक भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची

 

                         भारत के राष्ट्रपति        भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल

 

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884 – 1963) जनवरी 26, 1950 – मई 13, 1962
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975) मई 13, 1962 – मई 13, 1967
डॉ. जाकिर हुसैन (1897 – 1969) मई 13, 1967 – मई 03, 1969
वराहगिरि वेंकटगिरि (1884 – 1980)(कार्यवाहक) मई 03, 1969 – जुलाई 20, 1969
न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह (1905 – 1992)(कार्यवाहक) जुलाई 20, 1969 – अगस्त 24, 1969
वराहगिरि वेंकटगिरि (1884 – 1980) अगस्त 24, 1969 – अगस्त 24, 1974
फखरुद्दीन अली अहमद (1905 – 1977) अगस्त 24, 1974 – फरवरी 11, 1977
बी.डी. जत्ती (1913 – 2002)(कार्यवाहक) फरवरी 11, 1977 – जुलाई 25, 1977
नीलम संजीव रेड्डी (1913 – 1996) जुलाई 25, 1977 – जुलाई 25, 1982
ज्ञानी जैल सिंह (1916 – 1994) जुलाई 25, 1982 – जुलाई 25, 1987
आर. वेंकटरमण (1910 – 2009) जुलाई 25, 1987 – जुलाई 25, 1992
डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918 – 1999) जुलाई 25, 1992 – जुलाई 25, 1997
के. आर. नारायणन (1920 – 2005) जुलाई 25, 1997 – जुलाई 25, 2002
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (1931-2015) जुलाई 25, 2002 – जुलाई 25, 2007
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (जन्म – 1934) जुलाई 25, 2007 – जुलाई 25, 2012
श्री प्रणब मुखर्जी (जन्म – 1935) जुलाई 25, 2012 – जुलाई 25, 2017
श्री राम नाथ कोविन्द (जन्म – 1945) जुलाई 25, 2017 से अब तक

 

 

भारत के उपराष्ट्रपति

भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है।

भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू हैं जो 5 August 2014 को चुने गये थे।

उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना— उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा। परंतु जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के अधीन राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा और वह अनुच्छेद 97 के अधीन राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।

राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन

  • (१) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
  • (२) जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।

उपराष्ट्रपति को उस अवधि के दौरान और उस अवधि के संबंध में, जब वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा।

 

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन

(१) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।

(२) उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

(३) कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह–

(क) भारत का नागरिक है,

(ख) पैंतीस वर्ष की न्यूनतम आयु पूरी कर चुका है और

(ग) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।

(४) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

स्पष्टीकरण–इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल  है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।

 

उपराष्ट्रपति की पदावधि

(१) उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा: परंतु–

(क) उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा;

(ख) उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोकसभा सहमत है; किंतु इस खंड के प्रयोजन के लिए कई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो;

(ग) उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

 

आजादी के बाद से अब तक भारत के सभी उपराष्ट्रपतियों की सूची

 

                   भारत के उपराष्ट्रपति       भारत के सभी उपराष्ट्रपति का कार्यकाल

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888 – 1975) 1952-1962
डॉ. जाकिर हुसैन (1897 – 1969) 1962-1967
वराहगिरि वेंकटगिरि (1884 – 1980) 1967-1969
गोपाल स्वरूप पाठक (1896 – 1982) 1969-1974
बी.डी. जत्ती (1913 – 2002) 1974-1979
न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह (1905 – 1992) 1979-1984
आर. वेंकटरमण (जन्म – 1910) 1984-1987
डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918 – 1999) 1987-1992
के. आर. नारायणन (1920 – 1925) 1992-1997
कृष्णकांत (1927 – 2002) 1997-2002
भैरों सिंह शेखावत (जन्म – 1923) 2002-2007
मोहम्मद हामिद अंसारी (जन्म – 1937) 2007-2017
मुप्पवरपु वेंकैया नायडू (जन्म – 1949) अगस्त 11, 2017 से वर्तमान तक

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आज के इस article के माध्यम से हमने आज के भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 2020  के बारे मे विस्तार से जाना। आशा है कि भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बारे मे पूरी जानकारी और सूची हिन्दी मे जाने | GK का यह article आपके लिए helpful रहा होगा। अगर आपको यह article पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share कीजिए।

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