What is Domain Name System in Hindi – DNS क्या है?..

Hello दोस्तों आज हम internet पर आसानी से अनेकों websites को access कर लेते है इसमे DNS का बहुत बड़ा योगदान है। आज के इस article में हम DNS के बारे में सभी बातें जानेंगे।

हम रोज DNS का use कर रहे है फिर भी हम आज तक यह नही जानते है कि आखिर DNS क्या होता है?

इस दुनिया मे जितने भी mobile और computers है सभी एक दूसरे से internet के माध्यम से connected है और ये सब मिलकर network बनाते है जिसमे IP address का महत्वपूर्ण योगदान है। DNS और IP address दोनों ही एक दूसरे से connected है। हम यह भी जानेंगे कि आखिर यह दोनों एक दूसरे से कैसे connected है।

What is DNS (Domain Name System) in Hindi

DNS का पूरा नाम Domain Name System है। इसे domain name server या domain name service भी कहते है। यह एक ऐसा system है जो कि जो किसी भी domain को उसके IP address से जोड़ता है।

IP address नंबर के form में होता है ताकि इसे हमारा computer आसानी से समझ सके क्योंकि हमारा computer या laptop वो भाषा नही समझता है जिस language को हम उसमे feed करते है ठीक उसी तरह जब हम किसी डोमेन जैसे google.com को browser में feed करते है तो वह इसको IP address के form में चेंज कर देता है जिससे कि उसे यह पता चल सके कि हम internet पर कौन सा पेज access करना चाहते है।

What is DNS in Hindi

हर domain name जैसे ehindilearning.com का एक unique IP address होता है जिससे कि यह पता चलता है कि website का content कौन से server पर है। आसान भाषा मे कहे तो DNS एक System होता है जो कि Domain Name को IP Address मे मे change कर देता है जिसकी मदद से Web Browser यह समझ सके कि आप internet पर कौन सा page Access करना चाहते है।

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History of DNS in Hindi

 

Advance Research Project Agency Network (ARPANET) की स्थापना सन 1966 मे हुई थी। इसका निर्माण पूरे United States मे Research Centers को आपस मे Connect करके Information Share करने के लिए किया गया था। इसके बाद साल बीतते गए इसके माध्यम से जुड़े हुए Centers की संख्या बढ़ती गई। 1980 के दशक तक इस Network के माध्यम से 320 Computers जुड़ चुके थे।

इसका Development बहुत अच्छा था बस इसमे Scalability का अभाव था जो कि इसकी सबसे बड़ी समस्या थी। ARPANET बहुत बड़ी मात्रा मे Websites और उसके Corresponding IP Address की Directory थी।

लेकिन(But) जब इसमे Connect होने वाले Computers की संख्या जब बढ़ने लगी तो ARPANET के लिए इन सब को Maintain करना बहुत कठिन हो रहा था। इसमे Numerical IP Address यूजर के लिए Remember करना बहुत कठिन था।

इसी समस्या का समाधान Paul Mockapetris ने किया ये Computer Science Graduate थे। उन्होंने Jon Postal और Zaw-Sing Su के साथ मिलकर सन 1983 मे Websites के लिए Nomenclature को Propose किया। इसके अंतर्गत .com, .edu, .org, .net, .int, .gov और .mil जैसे Domains को Include किया गया।

सन 1985 क अंत तक उन्होंने .com के साथ 6 नए Domains को जोड़ा गया था। सबसे पहले इसमे .com को Include किया गया था जो कि अभी तक Exists करता है।

 

Types of DNS in Hindi

 

1:- Root Servers :- Root Server को DNS के Top पर Position किया जा सकता है। यह top level zones के Maintain करता है। Root Servers को NIC के द्वारा Maintain किया जाता है।

 

2:- Primary Servers :- सामान्यतः हर Domain के लिए एक Primary Server होता है। किसी भी Domain मे सभी प्रकार के बदलाव इसी System के द्वारा होते है। ये जिस भी Domain को Serve करते है ये उस Domain के लिए Authoritative होते है।

 

3:- Secondary Servers :- प्रत्येक Domain के पास कम से कम एक Secondary Domain होता है। In Fact, NIC किसी भी Domain को तब तक Top Level Domain के Sub Domain के तौर पर तब तक Officially Registered नहीं करती है जब तक कोई Site दो DNS Servers को Demonstrate नहीं करती है। Secondary Servers के निम्नलिखित Features होते है:-

 

  • प्रत्येक Domain के एक या एक से ज्यादा Secondary Server होते है।

 

  • ये जितने भी Domain को Appropriate Primary Server के तौर पर serve करते है ये उन Domains की Information की Copy को obtain करते है।

 

  • यह उन सभी Domain के लिए Authoritative होते है जिन्हे ये Serve करते है।

 

  • ये समय समय पर Domain के Primary Server से Update प्राप्त करते रहते है।

 

4:- Coaching Only :- ये server किसी भी Domain के लिए केवल Information Cache करते है। ये किसी भी Domain के लिए Authoritative नहीं होते है। ये निम्नलिखित Feature प्रदान करते है:-

  • ये Looked up name का Local cache प्रदान करते है।

 

  • इनके पास Lower Administrative होता है।

 

5:- Forwarding Servers :-  ये Primary और Secondary Servers मे Variation होते है। इनमे निम्नलिखित Features होते है:-

  • इनका प्रयोग Off-site Requests को Centralize करने के लिए किया जाता है।

 

  • इस server का प्रयोग Forwarder के रूप मर किया जाता है जिसकी मदद से Information का Rich Cache बनाया जा सकता है।

 

  • सभी Off-site Queries सबसे पहले Forwarders से होकर जाती है।

 

  • Forwarders के लिए किसी special set up की आवश्यकता नहीं होती है।

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How Does Domain Name System Works in Hindi

माना हम browser में किसी website का नाम feed करते है जैसे google.com तो यह हम जानते है कि हम उस website में enter करना चाहते है लेकिन (But) computer यह नही जानता है कि ये google क्या है? Computer उस site पर IP address के माध्यम से पहुचता है।

जब हम website का नाम browser में feed करते है तो computer सबसे पहले browser के cache memory में उसका IP address check करता है क्योंकि अगर आपने पहले कभी उस website को browser पर search किया हो तो उसका IP address browser की cache memory में save हो जाता है। अगर browser cache में IP मिल जाये तो site open हो जाती है।

अगर यह browser cache में stored नही है तो यह आपके operating system को request transfer करेगा। Operating system यह Internet service provider(ISP) को request भेज देता है। जिसमे IP address का record हो सकता है अगर आपको वहां IP address का record नही मिलता है तो

यह request root server को भेज दी जाती है। रुट server में domain servers की IP मिल जाती है और यह computer को भेज दी जाती है और यह process इतनी इतनी जल्दी हो जाती है हम सोच भी नही सकते है यानी कि यह process milliseconds में ही पूरी हो जाती है।

IP address numbers के रूप में होता है जैसे 265.67.36 यह कुछ इस रूप का होता है।

 

Advantages of DNS in Hindi

DNS पूरे Worldwide मे सिर्फ ऐसा System है जिसकी मदद से आप Internet को Browse कर सकते है। हम सब जानते है कि हम सब के जीवन मे एक Integral Part बन चुका है अब यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि DNS Server को Maintain किया जाए बिना इनके Internet का कोई Exist ही नहीं रह जाता है।

 

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको IP Address को याद रखने की कोई जरूरत नहीं है। इनकी मदद से Domain और Sub Domain को IP Address मे Convert किया जा सकता है।

  • ये बहुत ज्यादा Secure होते है।
  • इनमे Internet का Connection बहुत Fast होता है।
  • इसकी मदद से आप Internet पर Websites को Search कर सकते है।
  • यह Search Engines को Categorizing, Archiving जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।
  • यह DNS Protocol को Define करता है।

 

Disadvantages of DNS in Hindi

  • इसकी registry केवल ICANN के द्वारा होती है।
  • DNS Server Slave Master relationship के Principle पर काम कर है इसका मतलब है कि अगर किसी भी माध्यम मे इसका Master Server Broken हो जाता है तो आपको Web Page को Access करने मे बहुत समस्या हो सकती है।
  • अगर DNS की Spoofing हो जाती है तो आपका Data गलत हाथों मे जा सकता है।
  • इसमे DNS Issues को इसके Distributed nature के कारण Troubleshoot करना बहुत कठिन होता है।

 

आज के इस article के माध्यम से हमने आज के DNS के बारे मे विस्तार से जाना। आशा है कि यह article आपके लिए helpful रहा होगा। अगर आपको यह article पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share कीजिए।

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