DBMS Interview Questions in Hindi

DBMS Interview Questions in Hindi

Hello दोस्तों आज के इस Article मे हम DBMS Interview Questions in Hindi के बारे मे जानेंगे आज के Article के माध्यम से हम DBMS के interview मे frequently पूछे जाने वाले Interview Questions को पढ़ेंगे।

What is DBMS in Hindi

Database Management System (DBMS) एक system software है जैसे MySQL, Oracle जिसका इस्तेमाल Database को manage और create करने के लिए किया जाता है।

DBMS की मदद से कोई भी यूजर Database मे data को create, read, update और delete कर सकते है।

यह मुख्य रूप से Database और end user या application programs के बीच interface प्रदान करता है जिससे यह सुनिश्चित करता है कि Data लगातार organize हो और आसानी से accessible हो।

जब इसको किसी application से data के लिए request प्राप्त होती है तो यह operating system को वह specific data प्रदान करने के लिए निर्देश देता है। यह user या applications को data को store या retrieve करने मे.

What is Database in Hindi

डेटाबेस structured information का एक organized collection है. आसान शब्दों में Data के systematic collection को “Database” कहा जाता है. वो इसलिये क्योंकि इसे काफी व्यवस्थित बनाया जाता है. ताकि डेटा को आसानी से access, manage और update किया जा सके. Database का मूल कार्य data management को आसान बनाना है।

What is SQL in Hindi

SQL का पूरा नाम Structured Query Language है। इसको Relational Database System मे insert और modify करने के लिए design किया गया है।

 

 What is Database System in Hindi

Database और DBMS का एक साथ Collection Database System कहलाता है। इसकी मदद से हम बहुत सारे कार्य आसानी से कर पाते है जैसे:-

Database System की मदद से हम Data को आसानी से Store कर पाते है, और इसके कारण कभी भी Data Redundancy और Data Inconsistency का कोई भी error नहीं आता है।

इसकी मदद से Data को कभी भी DBMS की मदद से Database से आसानी से extract किया जा सकता है तो इस प्रकार Database और DBMS के combination (Database System) की मदद से हम Data को आसानी से accuracy और security के Access, Store और Retrieve कर सकते है।

 

What are the Advantages of DBMS in Hindi
  • Redundancy control
  • Restriction for unauthorized access
  • Provides multiple user interfaces
  • Provides backup and recovery
  • Enforces integrity constraints
  • Ensure data consistency
  • Easy accessibility
  • Easy data extraction and data processing due to the use of queries

 

What is a Checkpoint in DBMS?

DBMS मे Checkpoint एक प्रकार का mechanism है जिसमे सारे previous logs को system से remove कर दिया जाता है और उनको storage disk मे permanently store कर दिया जाता है। DBMS में ACID (Atomicity, Consistency, Isolation and Durability) Properties को Recover और Maintain करने के दो तरीके है :- (i) प्रत्येक Transaction के log को maintain करना और (ii) shadow pages को maintain करना।

तो जब हम log based recovery system की बात करते है तब checkpoint का concept हमारे सामने आता है। checkpoint वे points है जिनके लिए database engine एक specified न्यूनतम बिन्दु के रूप मे crash के बाद ठीक हो सकता है जहां से transaction log records का इस्तेमाल crash point तक के सभी data को पुनः प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 

DBMS मे checkpoints कब आते है?

Checkpoint की मदद से हम DBMS मे crash होने के बाद restart करने की स्थिति मे हमारे काम को कम कर देता है। checkpoints का इस्तेमाल प्रत्येक system crash के बाद database की recovery करने का काम करता है। checkpoint का इस्तेमाल log based recovery system मे किया जाता है।

जब कभी system crash होता है तो system को restart करने के बाद हमे हर transaction को starting से शुरू नहीं करना पड़ता है बल्कि उसे हम checkpoint से start कर सकते है।

 

Transparent DBMS क्या होता है?

यह DBMS का वह प्रकार है जिसमे physical structure को user से hide किया जा सकता है। Physical structure या physical data को DBMS के memory manager की तरह समझ जा सकता है यह describe करता है कि डाटा Disk मे store कैसे होता है।

 

RDBMS क्या होता है?

इसका पूरा नाम Relational Database Management Systems होता है। इसका इस्तेमाल तालिका मे सूचकांक और Data Records को Maintain करने के लिए किया जाता है। यह DBMS का ही एक प्रकार है जिसका इस्तेमाल database मे data के pieces से संबंधित data की पहचान और उसकी संरचना को समझने के लिए किया जाता है।

RDBMS वह प्रणाली है जो आपको विभिन्न ऑपरेशन जैसे- अपडेट, इंसर्ट, डिलीट और कम से कम कठिनाइयों के लिए एक रिलेशनल डेटाबेस को संचालित करने में सक्षम बनाती है। आरडीबीएमएस अधिकांश समय एसक्यूएल भाषा (SQL Language) का उपयोग करता है क्योंकि यह आसानी से समझ में आता है और अक्सर इसके लिए उपयोग किया जाता है।

 

DBMS और RDBMS के बीच मे अंतर?
      DBMS      RDBMS
यह तार्किक रूप से संबंधित जानकारी के संग्रह से प्रबंधन, पुनर्प्राप्ति और भंडारण का एक संगठित तरीका प्रदान करता है। डीबीएमएस के समान ही कार्य करता है, लेकिन यह संबंधपरक अखंडता (Relational Integrity) प्रदान करता है।

 

DBMS के विभिन्न प्रकार कौन कौन से है?

Relational DBMS (RDBMS) :- इस प्रकार के DBMS मे एक ऐसे Structure का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मदद से आप database मे data के एक piece को data के अन्य piece के साथ relation मे access किया जा सकता है। इस प्रकार के DBMS मे data को tables के रूप मे store किया जाता है।

Hierarchical DBMS:- जैसा की आप नाम से ही समझ सकते है इस प्रकार के DBMS का आकार एक Tree के समान होता है, जिसमे Nodes इसके records को represent करते है जबकि इस tree के branches (शाखाएं) Field को दर्शाती है।

Network DBMS:- इस प्रकार का DMBS बहुत सारे Relations को support करता है और इसमे multiple member records को link किया जा सकता है।

Object- Oriented DBMS:- यह Data के pieces को store करने के लिए और डेटा के साथ किए जाने वाले कार्यों के निर्देश देने की लिए एक छोटे individual software का इस्तेमाल करता है जिसे हम ऑब्जेक्ट कहते है।

 

DBMS मे कौन कौन कौन सी languages का इस्तेमाल किया जाता है?

DBMS मे चार प्रकार की Language का इस्तेमाल होता है।

DDL (Data Definition Language) :- इस प्रकार की language मे वह commands होती है जिनका इस्तेमाल database को define करने के लिए किया जाता है।

DML (Data Manipulation Language):- यह database मे data को manipulate करने वाले आदेशों के लिए इस्तेमाल की जाती है।

DCL (Data Control Language):- यह database system के user permission और control से संबंधित आदेशों के लिए इस्तेमाल की जाती है।

TCL (Transaction Control Language):- यह database के transaction से संबंधित आदेशों के लिए इस्तेमाल की जाती है।

 

Query Optimization से आप क्या समझते है?

Query Optimization वह चरण है जो मूल्यांकन क्वेरी (Evaluation Query) के लिए एक plan की पहचान करता है जिसमें कम से कम अनुमानित लागत होती है। इसका इस्तेमाल तब होता है जब एक ही कार्य को निष्पादित करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम और तरीके होते हैं।

 

क्वेरी ऑप्टिमाईजेशन के क्या फायदे है?

Query Optimization के निम्नलिखित फायदे है:-

  • इसमे Output बहुत fast होता है।
  • इसकी मदद से बहुत ही काम समय मे बहुत ज्यादा Queries को execute किया जा सकता है।
  • यह time और space complexity को reduce करता है।

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Data Model से आप क्या समझते है?

इसको Data Describing, Data Relationships, Data Semantics और Constraints के लिए Conceptual Tool के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन Models का इस्तेमाल Entities और उनके Attributes के बीच relationship को Describe करने के लिए किया जाता है।

कुछ Data Models निम्नलिखित है:-

  • Hierarchical data model
  • network model
  • relational model
  • Entity-Relationship model

 

Relation Schema और Relation से आप क्या समझते है?

Relation Schema कुछ specified विशेषताओं (Attributes) का सेट होता है। इसको Table Schema भी कहते है। यह table के नाम को define करता है। Relation Schema को एक blueprint के रूप मे जाना जाता है जिसकी मदद से हम यह बता सकते है कि Data Tables को कैसे organize किया जाता है। इस blueprint मे कोई डाटा नहीं होता है।

वही पर Relation को Tuples के सेट के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है।

 

File Processing System के क्या क्या नुकसान है?
  • Inconsistent
  • Not secure
  • Data redundancy
  • Difficult in accessing data
  • Data isolation
  • Data integrity
  • Concurrent access is not possible
  • Limited data sharing
  • Atomicity problem

 

DBMS मे Data Abstraction से आप क्या समझते है?

Data Abstraction की process के माध्यम से DBMS मे irrelevant data को users से hide किया जाता है। क्योंकि database system कॉम्प्लेक्स डाटा स्ट्रक्चर से बना होता है इसलिए इसकी मदद से यूजर database के साथ आसानी से interact कर पाता है।

 

Data Abstraction मे कितने level होते है?

इसमे तीन level होते है:-

Physical Level:- यह data abstraction का सबसे lowest level होता है यह लेवल यह सुनिश्चित करता है कि data कैसे store होगा।

Logical Level:- यह level यह सुनिश्चित करता है कि database मे जो भी data store होता है उसके बीच क्या relation है।

View Level:- यह लेवल Database के पूरे part को describe करता है।

 

Normalization से आप क्या समझते है?

जब किसी Relation Schema को उसकी Functional Dependencies के आधार पर Analyse किया जाता है तो इस प्रोसेस को normalization कहा जाता है। इसका प्रयोग Redundancy, Insertion, और Deletion कर दौरान किया जाता है। Normalization एक बहुत ही मुख्य process होती है जिसका इस्तेमाल Data Redundancy, insertion anomaly, updation anomaly, deletion anomaly के लिए किया जाता है।

इसके सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाने वाले forms:-

  • First Normal Form(1NF)
  • Second Normal Form(2NF)
  • Third Normal Form(3NF)
  • Boyce & Codd Normal Form(BCNF)

 

Denormalization से आप क्या समझते है?

इस process के माध्यम से Database मे Redundant Data को Add करके Complex Data से छुटकारा दिलाया जाता है जिसकी मदद से Database को boost किया जाता है। Denormalization Data Optimization Technique का एक हिस्सा है।

 

Functional Dependency से आप क्या समझते है?

यह Normalization का प्रारम्भिक बिन्दु होता है। Functional Dependency को Database Dependency भी कहा जाता है।

 

E-R Model से आप क्या समझते है?

इस Model का पूरा नाम EntityRelationship Model है। इस model के अंदर महत्वपूर्ण objects (जिन्हे हम entity कहते है) उपस्थित होते है और उनके बीच relationship होता है। इस E-R Model मे entity को rectangle से प्रदर्शित किया जाता है।

 

1 NF, 2 NF, 3 NF और BCNF से आप क्या समझते है?

NF:- इसको DBMS मे first normal forms के नाम से जानते है। इस नियम के अनुसार table मे column केवल एक value को hold कर सकती है।

NF:-  इसको DBMS मे second normal forms के नाम से जानते है। इस rule को apply करने के लिए table को पहले 1 NF मे होना जरूरी है। इस rule के अनुसार कोई भी non-prime attribute (वह attribute जो किसी भी candidate key का पार्ट ना हो) table की candidate key के proper subset पर depend नहीं होना चाहिए।

NF:- इसको DBMS मे second normal forms के नाम से जानते है। इस नियम को apply करने के लिए table को पहले 2 NF मे होना जरूरी है।

BCNF:- इसको boycecodd Normal Forms कहते है। यह 3 NF का advanced version है। इसको 3.5 NF के नाम से भी जानते है। इस rule को apply करने के लिए table को 3 NF मे होना जरूरी है।

 

ACID Properties से आप क्या समझते है?

ACID Properties का पूरा नाम AtomicityConsistencyIsolationDurability है।

Atomicity:- Atomicity को All or Nothing Rule के नाम से भी जानते है, जिसका अर्थ है कि सभी को एक इकाई माना जाता है, और वे या तो पूरा करने एक बार मे execute कर लिया जाता है या इसे बिल्कुल execute नहीं किया जाता हैं।

Consistency:- यह Property डाटा की uniformity से संबंधित है। इसमे Consistency से यह तात्पर्य है कि database प्रत्येक transaction के बाद consistence रहता है।

Isolation:- इस property के अनुसार database की स्थिति मे बिना कोई inconsistency उत्पन्न किए बिना transactions को execute किया जा सकता है।

Durability:- यह property यह सुनिश्चित करती है कि जब कोई भी transaction हो जाता है तो यह non-volatile memory मे store हो जाता है और system मे crash उत्पन्न होने की स्थिति मे भी इसमे कोई effect नहीं होता है।

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2-Tier Architecture से आप क्या समझते है?

यह Architecture Basic Client Server Architecture की तरह होता है। इस प्रकार के आर्किटेक्चर मे client end की तरफ से जो application होती है वो server side की तरफ से Database को communicate कर पाती है।

 

3-Tier Architecture से आप क्या समझते है?

यह Architecture भी client और server के बीच एक layer की तरह होती है। 3-Tier Architecture का introduction उपयोगकर्ताओं की आसानी के लिए है क्योंकि यह GUI प्रदान करता है, जो सिस्टम को सुरक्षित और अधिक सुलभ बनाता है।

 

HAVING और WHERE Clause के बीच मे क्या अंतर है?

HAVING का इस्तेमाल किसी Group या Aggregate की condition को specify करने के लिए किया जाता है। HAVING Clause को grouping के बाद select किया जाता है जबकि WHERE Clause को Grouping के पहले select किया जाता है और इसमे Aggregate Function को contain नहीं किया जा सकता है।

 

Trigger से आप क्या समझते है?

यह एक code होता है जिसको insert, Update और delete Operations के साथ associate किया जाता है। जब table पर कोई भी associated query execute हो रही होती है तब यह code अपने आप ही execute हो जाता है। यह database मे integrity को maintain करने के लिए बहुत useful होते है।

 

DBMS मे relationship कितने प्रकार की होती है?

1:- One to One Relationship

2:- One to Many Relationship

3:- Many to Many Relationship

4:- Self Referencing Relationship

 

Database मे कितने प्रकार की Keys होती है?

1:- Candidate Key

2:- Super Key

3:- Primary Key

4:- Unique Key

5:- Alternate Key

6:- Foreign Key

7:- Composite Key

 

Conclusion

तो दोस्तों आज के इस Article के माध्यम से आपने DBMS Interview Questions in Hindi के बारे मे जाना आशा है कि आपको यह Article पसंद आया होगा अगर आप इससे संबंधित कोई भी सवाल हमसे पूछना चाहते है तो आप Comment के माध्यम से पूछ सकते है।

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