भारत मे अब तक किए गए सभी संविधान संसोधन की पूरी जानकारी | GK

Hello दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम भारत के संविधान और भारत के संविधान संसोधन के बारे मे डिस्कस करेंगे। जैसा की आप सब लोग जानते है कि आजकल भारत के संविधान से संबंधित जानकारी को सभी competitive exams मे पूछा जा रहा है। इसलिये हमारे लिए भारत मे अब तक किए गए सभी संविधान संसोधन की पूरी जानकारी | GK को पढ़ना बहुत जरूरी है।

भारत के संविधान की जानकारी UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS, Railways, Bank और Entrance Exam की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए काफी उपयोगी है।

 

भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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संविधान संसोधन क्या होता है?

विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को संशोधन (amendment) कहते हैं। किसी भी देश का संविधान कितनी ही सावधानी से बना हुआ हो किंतु मनुष्य की कल्पना शक्ति की सीमा बँधी हुई है। भविष्य में आनेवाली और बदलनेवाली सभी परिस्थितियों की कल्पना वह संविधान के निर्माणकाल में नहीं कर सकता इसके अलावा संविधान संसोधन के पीछे कुछ अन्य कारण भी हो सकते है।

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संविधान संसोधन की प्रक्रिया

संविधान संसोधन के दौरान इन तीन विधियों का पालन किया जाता है:-

  1. संसद के साधारण बहुमत से

जब सदन में उपस्थित होकर वोट देने वाले सदस्यों का 50% से अधिक किसी विषय के पक्ष में मतदान होता है तो उसे “साधारण बहुमत” कहा जाता है।

  1. संसद के दो-तिहाई बहुमत से

इस प्रक्रिया के अनुसार, संविधान के अधिकांश अनुच्छेदों में संशोधन हेतु विधेयक संसद में पुनः स्थापित हो सकते हैं। यदि ऐसा विधेयक प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तो उसे राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है और राष्ट्रपति की स्वीकृति से संविधान में संशोधन हो जाता है। संविधान के अधिकांश अनुच्छेदों में संशोधन इसी प्रक्रिया के अनुसार होता है।

  1. राज्य के विधानमंडल की स्वीकृति से

यदि संविधान में संशोधन विधेयक संसद के सभी सदस्यों के बहुमत या संसद के दोनों सदनों के 2/3 बहुमत से पारित हो जाए, तो कम-से-कम 50% राज्यों के विधानमंडलों द्वारा पुष्टिकरण का प्रस्ताव पारित होने पर ही वह राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर वह कानून बन जायेगा।

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भारत मे अब तक किए गए सभी संविधान संसोधन

  • 1st पहला संशोधन (1951):इसके अंतर्गत नौंवी अनुसूची को शामिल किया गया, यह संशोधन संविधान के 19वें अनुच्छेद में दिए गए किसी भी व्यापारया कारोबार पर बोलने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रति प्रतिबंध के कई नए आधार प्रदान करता है।
  • 7वां (सातवां) संशोधन (1956):राज्यों का पुनर्गठन (14 राज्य, 6 केंद्र शासित प्रदेश)
  • 13वां (तेरहवां) संशोधन (1962):नगालैंड को राज्य बनाया।
  • 14वां (चौदहवां) संशोधन (1962):पहली अनुसूची में पॉन्डिचेरी को शामिल किया गया।
  • 18वां (अठारहवां) संशोधन (1969):पंजाब राज्य का पुनर्गठन और पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश को अलग राज्य बनाना।
  • 24वां (चौबीसवां) संशोधन (1971): गोलकनाथ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले की वजह से पैदा हुई परिस्थिति के संदर्भ में यह संशोधन पारित किया गया था. तदनुसार, इस अधिनियम ने मौलिक अधिकारों समेत संविधान में संशोधन करने के संसद की शक्ति के संदर्भ में सभी संदेहों को दूर करने के लिए अनुच्छेद 13 और अनुच्छेद 368 में संशोधन किया। ऐसा लोकतंत्र के विभिन्न स्तंभों के बीच सरकार की सर्वोच्चता स्थापित करने के लिए किया गया था।
  • 31वां (इक्त्तीसवां) संशोधन (1973):लोकसभा की कुल संख्या बढ़ाकर 525 से 545 कर दी गई ( 1971 की जनगणना के आधार पर)।
  • 36वां ( छत्तीसवां) संशोधन (1975):सिक्किम राज्य की स्थापना।
  • 39वां (उन्चालीसवां) संशोधन (1975):राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों के अध्यक्ष के चुनाव को न्यायिक जांच से परे रखा।
  • 42वां (बयालिसवां) संशोधन (1976):संविधान का बयालिसवां संशोधन अधिनियम (1976) ‘लघु संविधान’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसने संविधान में कई बदलाव लाए। ये संशोधन सरकार की शक्ति को बढ़ाने के लिए किए गए थे।
  • 42वां (बयालिसवां) संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा संविधान में किए गए प्रमुख संशोधन इस प्रकार हैं–
  • प्रस्तावना में: भारत के ‘ संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ की परिभाषा को बदलकर ‘ संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ कर दिया गया। ‘ राष्ट्र की एकता’ शब्द को बदलकर ‘ राष्ट्र की एकता और अखंडता’ किया गया। इस संविधान संसोधन को लघु संविधान भी कहा जाता है।
  • विधानमंडलःलोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया।
  • कार्यपालिका:-राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों का निर्वहन मंत्रि परिषद की सलाह पर करेंगें, इसे स्पष्ट रूप से कहने के लिए अनुच्छेद 74 में संशोधन किया गया।
  • न्यायपालिकाःराज्य कानून की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के विचार करने की शक्ति को खत्म करने के लिए बयालिसवें संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 32ए को शामिल किया गया। एक और नया प्रावधान। अनुच्छेद 131ए, ने सुप्रीम कोर्ट और विशेष अधिकारक्षेत्र को केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता से संबंधित सवाल का निर्धारण करने की शक्ति प्रदान की।
  • अनुच्छेद 144 ए और अनुच्छेद 128 एःसंविधान संशोधन अधिनियम ने कानून की संवैधानिकता की न्यायिक समीक्षा पर विचार किया। अनुच्छेद 144ए के तहत केंद्रीय या राजकीय कानून की संवैधानिक वैधता पर प्रश्न पर फैसला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों की न्यूनतम संख्या कम– से– कम सात हो, निर्धारित कर दी गई थी और इसके अलावा, कानून को असंवैधानिक घोषित करने के लिए जजों की दो– दो– तिहाई बहुमत की आवश्यकता है हालांकि मौलिक अधिकारों की शक्ति के मामले में उच्च न्यायालय की शक्ति अछूती रखी गई थी, ‘किसी भी अन्य उद्देश्य’ के लिए रिट जारी करने की इसकी शक्ति पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे।
  • केंद्र और राज्य के संबंधःकिसी भी राज्य में कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए संघ के किसी भी सेना या उसके नियंत्रण वाली किसी भी अन्य सेना को राज्य में तैनात करने में सक्षम बनाने के लिए अधिनियम ने संविधान में अनुच्छेद 257ए को शामिल किया।
  • मौलिक अधिकार और निर्देशक सिद्धांतःबयालिसवें (42वें) संशोधन अधिनियम द्वारा किया गया सबसे प्रमुख संशोधन था अनुच्छेद 14, 19 या 31 में दिए गए मौलिक अधिकार पर सभी निर्देशक सिद्धांतों को प्रधानता देना। बयालिसवें (42वें) संविधान संशोधन ने कुछ और निर्देशक सिद्धांत शामिल किए जैसे मुफ्त कानूनी सहायता, उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी, देश में पर्यावरण एवं वन और वन्यप्राणियों का संरक्षण।
  • मौलिक कर्तव्यःबयालिसवां ( 42वें) संशोधन अधिनियम ने एक नए भाग जिसे संविधान का  IV-ए कहा गया, बनाने के लिए अनुच्छेद 51–ए को शामिल किया, जिसमें नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों की बात की गई है।
  • आपातकालःबयालिसवें ( 42वें) संशोधन अधिनियम से पहले, राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर सकते थे लेकिन देश के सिर्फ एक हिस्से में नहीं। यह अधिनियम राष्ट्रपति को देश के किसी भी हिस्से में आपातकाल लगाने का अधिकार देता है।
  • चवालिसवां (44वां) संशोधन (1978):
  • लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल छह वर्षों से कम कर पांच वर्षों का कर दिया गया– सामान्य कार्यकाल जिसे बयालिसवें संशोधन के तहत आपातकाल के दौरान बढ़ाया गया था ताकि कुछ राजनितिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।

संविधान के चवालिसवें (44वां) संशोधनके अनुसार संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं बल्कि सिर्फ कानूनी अधिकार है।
इस अधिनियम की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि आगे की जाने वाली किसी भी आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति मंत्रिमंडल द्वारा लिखित में दिए जाने वाले सलाह को प्राप्त करने के बाद ही करेंगे। मंत्रिमंडल से विचारविमर्श किए बिना प्रधानमंत्री द्वारा दी गई सलाह के आधार पर राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा नहीं करेंगे। इसके अलावा, घोषणा के एक महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों में दो– तिहाई बहुमत द्वारा अपनाया जाएगा।

  • 52वां संशोधन (1985):दसवीं अनुसूची को जोड़ा गया जिसमें उल्लंघन के आधार पर अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है। इस संविधान संसोधन को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
  • 53वां संशोधन (1986): केंद्रशासितमिजोरम को राज्य का दर्जा दिया।
  • 55वां संशोधन (1986):केंद्र शासित अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया।
  • 56वां संशोधन (1987):गोवा को राज्य बनाया गया।
  • 61वां संशोधन (1989):मतदान की उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।
  • 71वां संशोधन (1992):कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
  • 73वां संशोधन (1992):73वां संविधान संशोधन अधिनियम ने संविधान में भाग IX और अनुसूची XI को शामिल किया और ग्रामीण स्थानीय प्रशासन (पंचायतों) की व्यवस्था की।
  • 74वां संशोधन (1992):74वां संविधान संशोधन अधिनियम ने संविधान में भाग IX– ए और अनुसूची XII को शामिल किया और शहरी स्थानीय प्रशासन (नगरपालिकाओं) की व्यवस्था की।
  • 86 वां संशोधन (2002):यह (i) नए अनुच्छेद 21 ए को शामिल करता है जिसमें राज्य कानून द्वारा, निर्धारित तरीके से छह से चौदह वर्ष के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा, का प्रावधान है।
  • 91वां संशोधन (2003):यह अनुच्छेद कहता है कि मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री समेत मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के पंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
  • 92वां संशोधन (2003):यह अनुच्छेद संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं– बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली, को शामिल करने के बारे में है।
  • 94वां संशोधन (2006): यह अनुच्छेद कहता है कि संविधान के अनुच्छेद 164 की उपधारा (1) में, प्रावधान में, बिहारशब्द के लिए, “छत्तीसगढ़, झारखंड” शब्दों को प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • 95 वां संसोधन (2010): आर्टिकल 334 मे संसोधन करके लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एससी और एसटी के लिए सीटों के आरक्षण का विस्तार करने के लिए साठ साल से सत्तर साल तक का समय
  • 96 वां संसोधन: अनुसची 8 मे संसोधन करके “उड़िया” के लिए “ओड़िया” का इस्तेमाल
  • 97 वां संविधान संसोधन: अनुच्छेद 19 (l) (c) और अनुच्छेद 43B यानी, सहकारी समितियों का संवर्धन और भाग- IXB यानी, सहकारी शब्द को सम्मिलित करने के बाद “या सहकारी समितियों” शब्द को “या संघों” के बाद जोड़ा गया। संशोधन का उद्देश्य सहकारी समितियों की आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है जो बदले में ग्रामीण भारत की प्रगति में मदद करते हैं। यह न केवल सहकारी समितियों के स्वायत्त और लोकतांत्रिक कामकाज को सुनिश्चित करने की उम्मीद है, बल्कि सदस्यों और अन्य हितधारकों के लिए प्रबंधन की जवाबदेही भी है।
  • 98 वां संविधान संसोधन: कर्नाटक के राज्यपाल को सशक्त बनाने के लिए हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास के लिए कदम उठाए।
  • 99 वां संविधान संसोधन: संशोधन राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन का प्रावधान करता है। गोवा, राजस्थान, त्रिपुरा, गुजरात और तेलंगाना सहित २ ९ राज्यों में से १६ राज्यों की विधानसभाओं ने केंद्रीय विधान की पुष्टि की, जिससे भारत के राष्ट्रपति बिल को स्वीकृति प्रदान कर सके। संशोधन 16 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए गए toto में है।
  • 100 वां संविधान संसोधन: भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौते (LBA) संधि पर हस्ताक्षर करने के परिणामस्वरूप एन्क्लेव के निवासियों को बांग्लादेश के साथ कुछ एन्क्लेव क्षेत्रों का आदान-प्रदान और नागरिकता के अधिकारों का सम्मान।
  • 101 वां संविधान संसोधन: GST का प्रावधान
  • 102 वां संविधान संसोधन: पिछड़े वर्ग के लिए आयोग की स्थापना
  • 103 वां संविधान संसोधन: समाज मे आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10% का आरक्षण
  • 104 वां संविधान संसोधन: sc/st आरक्षण अवधि को 10 वर्ष तक बढ़ाया गया।

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आज के इस article के माध्यम से हमने आज के भारत के संविधान संसोधन के बारे मे विस्तार से जाना। आशा है कि भारत मे अब तक किए गए सभी संविधान संसोधन की पूरी जानकारी | GK का यह article आपके लिए helpful रहा होगा। अगर आपको यह article पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share कीजिए।

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